- देश और राज्यों की प्रति व्यक्ति मासिक आय और सांसदों-विधायकों के वेतन का विश्लेषण से पता चला है कि देश के सांसद और अधिकतर राज्यों के विधायक आम जनता की औसत आमदनी से कई गुना वेतन ले रहे हैं
नई दिल्ली : देश के सांसद और अधिकतर राज्यों के विधायक आम जनता की औसत आमदनी से कई गुना वेतन ले रहे हैं। देश और राज्यों की प्रति व्यक्ति मासिक आय और सांसदों-विधायकों के वेतन का विश्लेषण करने पर पता चला कि हाल ही बढ़ोतरी के बाद देश के सांसदों का वेतन आम आदमी की औसत आमदनी की तुलना में सात गुना से ज्यादा है। सांसदों का मासिक वेतन 1.24 लाख रुपए है जबकि देश की प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय महज 17132 रुपए है।
राज्यों में पिछड़े माने जाने वाले झारखंड में विधायकों का वेतन प्रदेशवासियों की प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय से 32 गुना ज्यादा है जो देश में सबसे बड़ा आनुपातिक अंतर है। छत्तीसगढ़ के विधायकों को प्रति व्यक्ति आय की तुलना में सबसे कम मात्र डेढ़ गुना वेतन मिलता है। खास बात यह है कि यह गणना केवल मूल वेतन की है जबकि सांसदों विधायकों को महंगाई भत्ते से लेकर सत्कार, चुनाव क्षेत्र भत्ता, स्टाफ भत्ता सहित अन्य अनेक सुविधाएं मिलती हैं।
भारत की प्रति व्यक्ति आय
प्रमुख राज्य | विधायकों का वेतन | प्रति व्यक्ति मासिक आय | अनुपात ज्यादा |
झारखंड | 2.88 लाख | 8773 | 32.83 |
उत्तर प्रदेश | 95000 | 7785 | 12.2 |
दिल्ली | 90000 | 38284 | 2.35 |
राजस्थान | 40000 | 15421 | 2.66 |
मध्यप्रदेश | 30000 | 12701 | 2.32 |
छत्तीसगढ | 20000 | 13572 | 1.47 |
गुजरात | 1 लाख | 24393 | 4.09 |
कर्नाटक | 80000 | 31742 | 2.52 |
खुद ही बढ़ा लेते हैं वेतन-भत्ते
हालांकि केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन को महंगाई सूचकांक से जाेड़ कर 2018 के बाद पहली बार बढ़ोतरी की है और इस मामले को तार्किक बनाया है। लेकिन अधिकतर राज्यों में विधानसभाओं में विधेयक लाकर मंत्रियों-विधायकों द्वारा खुद ही वेतन बढ़ा लेने की आम जनता में आलोचना होती रही है। हाल ही कर्नाटक सरकार ने अपने विधायकों के वेतन को दोगुना करने के लिए दो विधेयक पारित किए। गुजरात सरकार ने भी विधायकों के वेतन में वृद्धि करने पर सहमति जताई है। दिल्ली विधानसभा ने अपने विधायकों के वेतन और भत्तों की समीक्षा के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है।
नौकरशाहों को ज्यादा वेतन
यह भी दिलचस्प है कि देश में राजपत्रित अधिकारियों और उच्च पदों पर बैठे नौकरशाहों को सांसदों-विधायकों से ज्यादा मूल वेतन मिलता है। बढ़ोतरी के बावजूद सांसदों का वेतन शीर्ष नौकरशाहों की तनख्वाह से काफी कम है। कैबिनेट सचिव को ढाई लाख, केंद्रीय सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों का मूल वेतन सवा दो लाख रुपए मासिक है। कुछ नियामक संस्थाओं के प्रमुखों को चार लाख से ज्यादा मूल वेतन मिलता है।