नई दिल्ली : भारत में बीते कुछ दिनों से बुलडोजर सुर्खियों में छाया हुआ है। वर्तमान राजनीति में यह एक अलग प्रतीक के रूप में भरा हुआ है। उत्तर प्रदेश में जब विधानसभा चुनाव हुए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही लोग बुलडोजर बाबा कहने लगे। यूपी के अलावा मध्य प्रदेश के खरगोर, राजस्थान के जयपुर और दिल्ली के जहांगीरपुर में बुलडोजर का कहर देखने को मिला। चुनाव भले ही खत्म हो गए हों, लेकिन अभी भी बुलडोजर की चर्चा हो रही है। हर कोई सोचता है कि बुलडोजर में इतनी ताकत कहा से आती है कि बड़ी से बड़ी गाड़ियों को उठा सकता है। यह बड़ी-बड़ी इमारतों को तहस-नहस कर डालता है। आइए जाते है। सबसे पहले इसको किसने बनाया था इसमें क्या क्या खूबियां है।
दुनिया का सबसे पहला बुलडोजर 18 दिसंबर, 1923 में बनाया गया था। खेत के लिए समतल जमीन तैयार करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया। जेम्स कुमिंग्स नाम के एक किसान और जे अर्ल मैकलेयोड नाम के एक ड्राफ्ट्समैन ने मिलकर इसका डिजाइन तैयार किया था। किसान और ड्राफ्टमैन दोनों अमरीकी के कंसस में रहते थे। जहां कई जगहों पर खेती करना बहुत उबड़ खाबड़ जगहों के कारण खेती करने में परेशानियां आ रही थी।
दोनों ने इसका अमरीकी पेटेंट (पेटेंट नंबर 1,522,378) भी करा लिया। उस समय मूलतौर पर बुलडोजर ट्रैक्टर जैसे ही लगते थे। फिर धीरे धीरे इनमें बदलाव किया गया। 1930 के दशक में इसका खेतों और कृषिकामों में इस्तेमाल होने लगे। इसके बाद अब बड़ी से बड़ी गाड़ियों को उठाने और बड़ी से बड़ी बिल्डिंग को ढहाने से लेकर जमीन की खुदाई में भी इसका खूब इस्तेमाल हो रहा है।
भारत में बुलडोजर की कीमत करीब 10 लाख रुपए से शुरू होती हैं। अधिकांश बुलडोजर विदेशों से आय़ात किए जाते है। टाटा या दूसरी बड़ी कंपनियां विदेशी तकनीक से सहयोग करके इसको अपने देश में तैयार किया जाता है। मॉडल, कंपनी और खासियतों के अनुसार इसके दाम 50 लाख रुपए तक भी हो सकता है।
कहां से आती है इतनी ताकत
आज के समय में जमीन की खुदाई, कोई बहुत भारी मशीन या सामाना या वाहन उठाने से लेकर किसी इमारत को गिराने में जेसीबी को काम में लिया जाता है। इसमें इतनी ताकत कहां से आती है। इसका काम टेक्निकल है। यह हाइड्रोलिक प्रेशर के जरिए काम करता है। ड्राइवर इसे एक गियर यानी नट से चलाता और कंट्रोल करता है।