• 500 होटल, गेस्ट हाउस और मैरिज होम को नोटिस भेजे गये
  • नोटिस में कई गैर जरूरी औपचारिकताओं को पूर्ण करने के लिए बनाया जा रहा दबाव  
  • वृंदावन व मथुरा में रोज 50 हजार तीर्थ यात्रियों की ठहराने की व्यवस्था हो सकती है प्रभावित
  • होटल उद्यमियों की नजर में ये नोटिस थमाने की प्रक्रिया है उत्पीड़न, ये पर्यटकों को परेशान करने वाला कदम
  • एमवीडीए के इस कदम से योगी सरकार की पर्यटन नीति और उपलब्धियों पर पड़ेगा विपरीत आसार  

दैनिक उजाला, मथुरा/वृंदावन : उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थल मथुरा-वृंदावन में 500 होटल और गेस्ट हाउस आज संकट में हैं। इसका अनुकूल समाधान नहीं निकाला गया तो लगभग 50 हजार तीर्थ यात्रियों के प्रतिदिन ठहराने की व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।  सबसे ज्यादा असर वृंदावन में पड़ेगा। इस उद्योग से जुड़े 20 हजार कर्मचारी और अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े लाखों लोग रोजी रोटी से हाथ धो बैठेंगे। योगी सरकार की पर्यटन की उपलब्धियां भी बदनामी में बदल जाएंगी। तीर्थयात्रियों का विश्वास भी टूट जाएगा।

हाल ही में मंडलायुक्त के आदेश पर मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी प्रसून द्विवेदी की ओर से होटल, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट, मैरिज होम्स आदि को नोटिस भेजे गए। इनमें उप्र नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के अंतर्गत ऐसी- ऐसी  औपचारिकताएं पूर्ण करने का दबाव डाला जा रहा है जो असंभव हैं। इस बीच प्राधिकरण ने तोड़फोड़ व सील करने की कुछ कार्रवाई भी की है।
वास्तविकता तो यह है कि बड़े व मध्यम स्तर के ज्यादातर होटल मथुरा- वृंदावन विकास प्राधिकरण से स्वीकृति के बाद ही तैयार हुए। अग्निशमन, फूड्स संबंधी व अन्य विभागों की एनओसी भी उनके पास हैं। सभी होटल, रेस्टोरेंट व मैरिज होम 12 फीसदी जीएसटी भी ईमानदारी से भुगतान कर रहे हैं। इसके बावजूद उत्पीड़न किया जा रहा है।

कुछ वर्ष पहले तक वृंदावन में वाहनों का लोड ज्यादा नहीं था। अब भले ही ज्यादा वाहन आ रहे हैं, ज्यादातर होटल व गेस्ट हाउस अपने स्तर से इस प्रकार वाहनों को पार्क कराते हैं कि आम रास्ता प्रभावित न हो।  
होटलों के नक्शा पास तो हो रहे हैं, लेकिन एनजीटी की रोक के कारण सराय एक्ट में पंजीयन नहीं हो रहे। इसमें होटल प्रबंधनों का क्या दोष? जबकि ये होटल हर यात्री का हिसाब और जीएसटी सरकार को दे रहे हैं।
वृंदावन में कुछ लोगों ने गेट बंद कालोनियों में फ्लैट लेकर तीर्थयात्रियों को किराए पर दे दिया है। जिस पर की जा रही आपत्ति से होटल स्वामियों का लेना-देना नही है।

यह भी सत्य है कि होटल उद्योग कोई प्रदूषण नहीं फैलाता फिर भी प्रदूषण संबंधी एनओसी के नाम पर परेशान किया जा रहा है।
होटलों की तरह मैरिज होम को भी नोटिस थमाये जा रहे हैं। अब उनके बंद करने नौबत आ रही है। मैरिज होम बंद हुए तो सहालगों में रोजाना होने वाली सैकड़ों शादियां कहां होंगी?
होटल उद्योग ब्रज में पर्यटन को ऊंचाइयों पर ले जाने में, रोजाना 50 हजार तीर्थ यात्रियों के ठहराने में और राजस्व देने में सकारात्मक योगदान देता है।

मंडलायुक्त आगरा और मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण को चाहिए कि वे होटल उद्योग से जुड़ी समस्याओं पर गौर करें। उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक रास्ता निकालें। कंपाउंड जैसी व्यवस्था करें। होटल या अन्य कोई उद्योग प्रभावित न हो, इसी नजरिये से राजधानी दिल्ली तक में परिस्थितियों व जरूरत के हिसाब से औपचाकिताएं पूर्ण करायी जाती हैं। सख्ती बरते जाने के स्थान पर दिल्ली की तरह व्यवस्थाएं बनाना यहां भी संभव है। यदि बेतुकी औपचारिकताओं के लिए उत्पीड़न जारी रहा तो ब्रज में होटल उद्योग संकट में आएगा। बाहर के तीर्थयात्रियों पर असर पड़ेगा। सीधे तौर पर राज्य सरकार की बदनामी होगी।

 
वर्ष 2022 में ब्रज में 6.52 करोड़ तीर्थयात्री आए
 
मथुरा : राज्य पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में जिले में कुल 65275743 पर्यटक (तीर्थ यात्री) आये। अनुमान है कि इनमें से आधे यानि लगभग सवा तीन करोड़ तो अकेले वृंदावन में ही दर्शन करने पहुंचे। ये संख्या दर्शाती है कि मथुरा जनपद में आगरा से चार गुना, प्रयागराज और लखनऊ से तीन गुना ज्यादा पर्यटक आए। इन तीर्थयात्रियों में एक बड़ी संख्या उनकी है जो वृंदावन व मथुरा के होटल, गेस्ट हाउस में ठहरे।

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