• बिहार का एक व्यक्ति रेलवे की वजह से महाकुंभ में अमृत स्नान करने से चूक गया

नई दिल्ली : महाकुंभ के अवसर पर आज प्रयागराज में अमृत स्नान चल रहा है। इस अवसर पर प्रयागराज पहुंचने के लिए लोग महीनों पहले ट्रेन में रिजर्वेशन करवाए हुए थे। लेकिन निर्धारित दिन आप रेलवे स्टेशन जाएं और भीड़ की वजह से ट्रेन में सवार नहीं हो पाएं। तो आपको कैसा लगेगा? ऐसा ही कुछ हुआ बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के एक व्यक्ति के साथ। बस, उन्होंने रेलवे बोर्ड को ही लीगल नोटस भेज दिया है। उन्होंने इसे रेलवे की ‘लापरवाही’ माना है और इसके लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा है।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस की एक खबर के मुताबिक बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के जनक किशोर झा उर्फ राजन ने बीते 26 जनवरी की यात्रा के लिए स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में टिकट कटाया था। उनका टिकट एसी-3 में कंफर्म था। जब वह परिवार के साथ रेलवे स्टेशन आए तो वह और उनका परिवार ट्रेन में नहीं चढ़ सके। क्योंकि ट्रेन के कोच का दरवाजा अंदर से बंद था। गायघाट थाना क्षेत्र के निवासी झा ने दावा किया कि बार-बार प्रयास करने और रेलवे के कर्मचारियों से मदद मांगने के बावजूद कोई सहायता नहीं दी गई। अंतत: ट्रेन उनके स्टेशन से उन्हें बिना चढ़ाए ही ही रवाना हो गई।

इसके बाद झा ने औपचारिक रूप से रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लीगल नोटिस भेज दिया। उन्होंने रेलवे से 15 दिनों के भीतर ब्याज सहित उनकी टिकट की राशि वापस करने का अनुरोध किया है। झा ने तर्क दिया कि रेलवे की लापरवाही के कारण वे और उनका परिवार महाकुंभ में शामिल होने से वंचित रह गए, जो धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण आयोजन है। यह दुर्लभ संयोग 144 साल बाद हो रहा है। उनका दावा है कि इस अवसर को चूकने से न केवल वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक संकट भी हुआ।

क्या कहना है झा का

झा ने आईएएनएस को बताया “मैंने अपनी सास और ससुर के साथ मुजफ्फरपुर से प्रयागराज के लिए एसी-3 टिकट बुक किया था। जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुंची, तो हमारे कोच का दरवाजा अंदर से बंद था। हमारे प्रयासों के बावजूद, किसी ने इसे नहीं खोला। भीड़ इतनी अधिक थी कि दूसरे कोच तक पहुंचना संभव नहीं था। हमने स्टेशन मास्टर और राजकीय रेलवे पुलिस से मदद मांगी, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली और ट्रेन चली गई। यह सरासर लापरवाही है। इसलिए, हमने ब्याज सहित रिफंड की मांग की है।”

मामला भी दर्ज कराया

झा के वकील एस.के. झा ने सेवा में कमी का दावा करते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। उन्होंने तर्क दिया कि रेलवे को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यात्री अपनी निर्धारित ट्रेन में सुरक्षित चढ़ें और समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचें। हालांकि, ऐसा करने में विफल रहने के कारण शिकायतकर्ता को वित्तीय, मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होना पड़ा। अधिवक्ता ने कहा, “चूंकि रेलवे अपने कर्तव्य में विफल रहा है, इसलिए एक लीगल नोटिस भेजा गया है, जिसमें इसके अध्यक्ष को रिफंड की प्रक्रिया के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। यदि अधिकारी अनुपालन करने में विफल रहते हैं, तो हम सक्षम न्यायालय का रुख करेंगे और मुआवजे की मांग करेंगे।”

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