• जीएलए के कुलपति और सीईओ ने किया विज्ञान और तकनीक पर लिखी पुस्तक का विमोचन

दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के रसायन विज्ञान विभाग ने विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। विभाग के उत्कृष्ट प्रोफेसरों ने इस योगदान को तथा पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऊर्जा चुनौतियों को संबोधित करने में ईंधन कोशिकाओं की परिवर्तनकारी भूमिका को अपनी कलम के माध्यम से किताबों पर उकेरा है।

“फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी एंड इलेक्ट्रोड मटेरियल्स फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर“ विषय पर जीएलए विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अनुज कुमार द्वारा संपादित पुस्तक का विमोचन जीएलए के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता एवं जीएलए के सीईओ नीरज अग्रवाल ने किया।

पुस्तक का विमोचन करते हुए सीईओ नीरज अग्रवाल ने कहा कि यह पुस्तक न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक होगा, बल्कि यह विज्ञान के क्षेत्र में भी एक बहुमूल्य संसाधन साबित होगी। उन्होंने फ्यूचर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया और डा. अनुज कुमार के समर्पण को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया। उनका मानना है कि ऐसे समर्पित शोधकर्ता भारतीय समाज और भविष्य के लिए एक मजबूत और स्थिर तकनीकी विकास की दिशा में योगदान दे रहे हैं।

कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. अनुज कुमार द्वारा लिखित पुस्तक “फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी एंड इलेक्ट्रोड मटेरियल्स फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर“, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऊर्जा चुनौतियों को संबोधित करने में ईंधन कोशिकाओं की परिवर्तनकारी भूमिका पर केंद्रित है।

उन्होंने बताया कि यह पुस्तक शोधकर्ताओं, छात्रों और नीति निर्माताओं के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में काम करेगी, जो हरित ऊर्जा में नवाचार को बढ़ावा देने वाली अत्याधुनिक सामग्रियों और डिजाइन रणनीतियों का व्यापक ज्ञान प्रदान करेगी।

उन्होंने बताया कि सात पुस्तकों में डॉ. अनुज कुमार मुख्य संपादक के रूप में हैं, जबकि यह एक पुस्तक उनके द्वारा स्वतंत्र रूप से लिखी गई है। ये पुस्तकें विभिन्न प्रमुख विषयों को कवर करती हैं, जिनमें हाइड्रोजेल, कोऑर्डिनेशन कंपाउंड-व्युत्पन्न इलेक्ट्रोकैटलिस्ट्स, इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री के लिए नैनोमटेरियल्स और फ्यूल सेल शामिल हैं। विशेष रूप से फ्यूल सेल पर उनकी पुस्तक “न भविष्यति, न भूतो“ (न अतीत, न भविष्य) की चर्चा ने इस क्षेत्र में उनकी गहरी समझ और अध्ययन को उजागर किया है।

डा. अनुज कुमार ने बताया उनके द्वारा संपादित इस पुस्तक के अलावा भी पिछले सात वर्षों में 282 शोध लेख प्रकाशित किए हैं तथा सात पुस्तकें एडिटेबल हैं, जो उनकी मेहनत और विशेषज्ञता का प्रमाण हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 30 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों को बढ़ावा दिया है, जिससे जीएलए विश्वविद्यालय की वैश्विक पहचान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उनके अनुसंधान और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता ने उन्हें अकादमिक समुदाय में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया है और उनका काम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरेगा। डा. कुमार का कहना है कि उन्होंने फ्यूल सेल के मौलिक अध्ययन में जो गहराई से खोज की है, वह इस विषय पर पहले कभी नहीं की गई।

पुस्तक विमोचन के अवसर पर रिसोर्स जनरेशन एंड प्लानिंग के डीन प्रो. दिवाकर भारद्वाज, सीसीएएसएस के निदेशक अनिरुद्ध प्रधान, रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक दास तथा विभागीय शिक्षकों द्वारा डा. अनुज कुमार के कार्य को सराहा गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *