सतना : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को सतना में कहा- पाकिस्तान अविभाजित भारत का हिस्सा है। वह घर और यह घर अलग नहीं हैं। पूरा भारत एक घर है। बंटवारा ऐसा हुआ, जैसे किसी ने हमारे घर के एक कमरे को हटा दिया हो। हमे कल फिर कब्जा वापस लेना है।
संघ प्रमुख ने भाषा विवाद पर कहा- भाषा अनेक है, भाव एक ही होता है। मूल भाषा से ही निकली हैं अनेक भाषाएं। सारी भाषाएं भारत की राष्ट्र भाषा हैं। हर नागरिक को 3 भाषा कम से कम आनी चाहिए। घर, राज्य और राष्ट्र की भाषा तो आनी ही चाहिए।
भागवत 2 दिन के लिए मध्य प्रदेश के सतना पहुंचे है। अपने प्रवास के दूसरे दिन रविवार को बाबा मेहर शाह दरबार की नवनिर्मित बिल्डिंग का उद्घाटन किया।
भाषाई विविधता हमारी एकता का श्रृंगार
संघ प्रमुख ने सिंधी भाषा के संरक्षण पर कहा- आपको परंपरा से सिंधी भाषा मिली है। उसको हर सिंधी के घर में बोला जाना चाहिए। भारत के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मातृभाषा अच्छी तरह बोलनी और समझनी आनी चाहिए। भारत की सभी भाषाएं राष्ट्र भाषाएं हैं और भाषाई विविधता हमारी एकता का श्रृंगार है।
अंग्रेजों ने टूटा दर्पण दिखाकर अलग किया
बीटीआई ग्राउंड में आयोजित सभा में बोलते हुए भागवत ने कहा कि हम सब एक हैं। सभी सनातनी और हिंदू हैं। एक अंग्रेज आया और टूटा हुआ दर्पण दिखाकर हमें अलग-अलग कर गया।
राष्ट्र का ‘स्व’ जगाने के लिए अपनी संस्कृति से जुड़ें
भागवत ने राष्ट्र के ‘स्व’ को जगाने का आह्वान करते हुए कहा कि इसकी शुरुआत हर व्यक्ति को अपने घर से करनी होगी। उन्होंने कहा- कम से कम अपने घर की चौखट के अंदर हमारी भाषा, भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन अपनी परंपरा के अनुसार होना चाहिए।
2 अक्टूबरः पहलगाम हमले से दोस्त-दुश्मनों का पता चला
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने 2 अक्टूबर को कहा था कि पहलगाम हमले में आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की। हमारी सरकार और सेना ने इसका जवाब दिया। इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला।’ उन्होंने कहा था,

हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में समझ रखनी होगी। पहलगाम घटना हमें सिखा गई कि भले ही हम सभी के साथ दोस्ती का भाव रखते हैं और रखेंगे, लेकिन हमें अपनी सुरक्षा के प्रति और अधिक सजग, समर्थ रहना पड़ेगा।
RSS प्रमुख ने यह बात गुरुवार को नागपुर में विजयादशमी पर संगठन के शताब्दी समारोह में कही। उन्होंने 41 मिनट के भाषण में समाज में आ रहे बदलाव, सरकारों का रवैया, लोगों में बेचैनी, पड़ोसी देशों में उथल-पुथल, अमेरिकी टैरिफ का जिक्र किया।

