लखनऊ : गंगा के बाद अब प्रदेश की राजधानी के बीच से निकली गोमती, यमुना, घाघरा (सरयू), बेतवा, चंबल सहित 10 और नदियों में क्रूज और माल वाहक जहाज दिखें तो आश्चर्य नहीं होगा। प्रदेश में हाईवे और एक्सप्रेस-वे के नेटवर्क के बाद सरकार नदियों को जल परिवहन के रूप में विकसित करने की तैयारी में है।
इससे पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही, सड़क मार्ग की तुलना में 1.20 रुपए और ट्रेन की तुलना में 30 पैसे प्रति टन, प्रति किलोमीटर माल ढुलाई सस्ती पड़ेगी। पिछले दिनों प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी है।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने 23 जनवरी, 2025 को वाराणसी में अपने मौजूदा उप-कार्यालय को पूर्ण क्षेत्रीय कार्यालय बनाने की मंजूरी दी है। इसी क्षेत्रीय कार्यालय के तहत प्रदेश की सभी नदियों के जलमार्ग आएंगे।
देश के पहले जलमार्ग गंगा का प्रोजेक्ट कितना सफल हुआ? सड़क व ट्रेन की तुलना में नदियों के रास्ते माल ढुलाई कितना सस्ता पड़ेगा? प्राधिकरण बनाने से क्या फर्क पड़ेगा?

क्रूज पर्यटन के साथ माल ढुलाई का खुलेगा नया विकल्प
यूपी सरकार ने पहले चरण में गंगा के बाद 10 और नदियों को जलमार्ग के तौर पर विकसित करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में ऐसी 30 नदियां हैं, जिन्हें जल मार्ग के तौर पर विकसित किया जा सकता है। इस बजट में जलमार्गों के विकास और प्राधिकरण के लिए अलग से बजट की घोषणा हो सकती है।
जलमार्गों के विकास के लिए विश्व बैंक भी सहयोग दे रहा है। इसके अलावा नदियों के माध्यम से माल ढुलाई करने पर केंद्र सरकार ने भी 35 प्रतिशत की सब्सिडी देने का निर्णय लिया है।
यूपी के कई प्रमुख शहर और धार्मिक स्थल नदियों के तट पर हैं। जलमार्ग का विकास होने पर इन नदियों में क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर तलाशे जाएंगे। इसके अलावा एक शहर से दूसरे शहर में माल की सस्ती ढुलाई की जा सकेगी। यही कारण है कि प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी। इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है।
अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण में कौन होगा?
प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, वित्त, लोक निर्माण, परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई एवं जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव पदेन सदस्य होंगे। एक अन्य सदस्य भारतीय अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) का प्रतिनिधि होगा, जिसे IWAI का अध्यक्ष नामित किया जाएगा।
परिवहन आयुक्त, यूपी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे। अध्यक्ष मुख्यमंत्री या परिवहन मंत्री को नामित किया जाएगा। अंतर्देशीय जलमार्ग, प्लेस्टेशन एवं नेवीगेशन, पोर्टस, मैरीटाइम अफेयर्स से संबंधित मामलों में विशेषज्ञता रखने वाला कोई व्यक्ति भी इसका अध्यक्ष बन सकता है। जबकि उपाध्यक्ष राज्य सरकार की ओर से नामित इंटरनेशनल जलमार्ग, प्लेस्टेशन एवं नेविगेशन, पोर्ट्स, मैरीटाइम अफेयर्स से संबंधित विशेषज्ञों में से कोई एक होगा।
प्राधिकरण ही जलमार्ग के विकास से लेकर व्यापारिक गतिविधियों, बैठकें, प्राधिकरण के कोरम, लेखापरीक्षा से संबंधित मामले, प्राधिकरण की वार्षिक लेखा रिपोर्ट, प्राधिकरण के स्वामित्व और भूमि संपत्ति संबंधित सब कुछ उसके अधिकार क्षेत्र में होगा।