- जीएलए में गुणवत्तापूर्ण शोध के पहलुओं से रूबरू हुए शोधार्थी
दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में इंडियन कॉउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च द्वारा वित्तपोषित दस दिवसीय ट्रेनिंग व क्षमता विकास कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में शोधार्थियों को विभिन्न शोध विधाओं, तकनीकों, चुनौतियों एवं उनके संभावित समाधानों की विस्तार से जानकारी दी गयी।
जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर विवेक अग्रवाल ने बताया कि यह दस दिवसीय कार्यक्रम विशेष रूप से शोधार्थियों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था, जिससे कि शोधार्थियों को विभिन्न शोध विधाओं, तकनीकों, चुनौतियों एवँ उनके संभावित समाधानों की विस्तार से जानकारी प्राप्त हो सके। उद्योग जगत की ज़रूरतों के अनुसार शोध के विभिन्न आयामों को समझने हेतु प्रतिष्ठित औद्योगिक संस्थानों में भी प्रतिभागियों को ले जाया गया।
सह-संयोजक डा. जितेंद्र दीक्षित व डा. सुचेता अग्रवाल ने बताया कि दस दिवसीय कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों के दौरान शिक्षा व उद्योग जगत के विषय-विशेषज्ञ शोधार्थियों से रूबरू हुए व उन्हें गुणवत्तापूर्ण शोध के विभिन्न पहलुओं को समझाया।
कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र के दौरान प्रतिभागियों से रूबरू होते हुए जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल के निदेशक(रिसर्च सेंटर) प्रो. सचिन मंगला ने गुणवत्तायुक्त शोध के विभिन्न तत्वों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सही समस्या को पहचानना व सही शोध तकनीकों को अपनाना एक अच्छे शोध के मूलभूत तत्व हैं। शोधार्थियों में धैर्य व जीवटता का होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि एक अच्छे शोध में समय व श्रम दोनों ही लगते हैं।
आईआईटी खड़गपुर की प्रो. बिनीता तिवारी, आईआईटी दिल्ली के प्रो. जीतेन्द्र मदान, एनआईटी जालंधर के डा. ज्ञानप्रकाश, एमिटी यूनिवर्सिटी के प्रो. सुमित नरूला, जयपुरिया इंस्टिट्यूट के प्रो. अमरनाथ त्रिपाठी व् प्रो. कुमार आशीष, ग्रेट लेक्स इंस्टिट्यूट के प्रो. हरीश कुमार, आईएमटी की प्रो. गुंजन मल्होत्रा, बिम्टेक की प्रो. पूजा मलिक, आईओसीएल के मानव संसाधन अधिकारी डा. नीरज जायसवाल, डा. पुष्कर शर्मा आदि विषय विशेषज्ञों ने दस दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों के दौरान शोधकार्यों में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न तकनीकों व विधाओं पर विस्तार से चर्चा की एवं शोधार्थियों द्वारा सत्रों के दौरान ही इन तकनीकों व विधाओं का अभ्यास भी किया गया।
जीएलए विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि शोध व शोधपत्र केवल डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने भर की औपचारिकता नहीं है, अपितु समाज के प्रति एक आवश्यक दायित्व के निर्वहन का जरिया है। इसके लिए केवल ईमानदार प्रयास होने चाहिए। एसोसिएट डीन एकेडेमिक्स प्रो. आशीष शुक्ला ने कहा कि शोध जीवन पर्यंत चलने वाली एक प्रक्रिया है। हमारे शोध से लाभान्वित होने वाले कितने लोग हैं, शोध का सकारात्मक असर कितने लोगों पर होगा, कितनी समस्याएं हम हल कर पायेंगे आदि जैसे विषयों पर किसी भी शोधार्थी को चिंतन-मनन अवश्य करना चाहिए। सीएसईडी के एसोसिएट डायरेक्टर प्रो. पुष्कर शर्मा ने प्रतिभागियों के साथ शोध विधाओं व शोध के आयामों पर विस्तार से चर्चा की।
प्रबंधन संकाय निदेशक प्रो. अनुराग सिंह, विभागाध्यक्ष प्रो. उत्कल खंडेलवाल, एसोसिएट विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्णवीर सिंह ने कार्यक्रम संयोजकों व आयोजन समिति के सदस्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आईआईटी, ईडीआईआई, गोआ यूनिवर्सिटी, डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, एचबीटीयू, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, झारखंड विश्ववविद्यालय, मद्रास यूनिवर्सिटी आदि संस्थानों के शोधार्थियों का जीएलए में इस कार्यक्रम में प्रतिभाग करने आना एक सुखद अनुभव है। सभी प्रतिभागियों द्वारा आयोजन के दौरान विभिन्न सत्रों को उनकी शोधयात्रा के लिए खासा महत्वपूर्ण माना गया एवं उन्हें सराहा गया।
आयोजन समिति के सदस्यगणों सीएसईडी के सेंटर हैड डा. दीपक शर्मा, डा. शिवम भारद्वाज, डा. नीरज पाठक, मनोज शर्मा, दीपांश गोयल, अनुराग विश्वकर्मा, रितिक, वर्तिका आदि का विभिन्न सत्रों के दौरान सहयोग रहा।