- राष्ट्रीय हैकाथॉन में नवाचार का संगम जीएलए बना तकनीकी प्रतिभाओं का केंद्र
दैनिक उजाला, मथुरा : भारत की तकनीकी यात्रा में युवाओं की भूमिका आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। जब नई सोच, ऊर्जा और तकनीक एक ही मंच पर मिलती हैं, तो संभावनाओं के नए द्वार खुलते हैं। इसी भावना का जीवंत उदाहरण हाल ही में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में देखने को मिला, जहां राष्ट्रीय स्तर पर एक भव्य हैकाथॉन (तकनीकी प्रतियोगिता) का आयोजन हुआ। इस आयोजन ने देशभर के युवा तकनीकी प्रतिभाओं को एक साथ जोड़ा और नवाचार, सहयोग तथा तकनीकी उत्कृष्टता का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।
लगातार 48 घंटे तक चले इस तकनीकी महायज्ञ में देशभर से आए छात्रों ने अपनी रचनात्मकता, धैर्य और टीम भावना का अनूठा प्रदर्शन किया। प्रतिभागियों ने दिन-रात मेहनत करते हुए अपने विचारों को कोडिंग की भाषा में ढाला। कोई कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित समाधान विकसित कर रहा था, तो कोई साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को सुलझाने में जुटा था। किसी ने ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से पारदर्शिता का रास्ता खोजा, तो किसी ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और पूर्वानुमान विश्लेषण के ज़रिए सामाजिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया।
इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता रही इसकी व्यापक भागीदारी। देश के विभिन्न हिस्सों से छात्रों ने हिस्सा लिया, जिनमें यूआईटी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास, एनआईईटी नोएडा और मेजबान जीएलए विश्वविद्यालय मथुरा जैसे पूरे भारत से 27 प्रतिष्ठित संस्थानों से सैकड़ों प्रतिभागी शामिल हुए। हर टीम अपने साथ एक अनोखा दृष्टिकोण लेकर आई थी कोई ग्रामीण विकास से जुड़े विचारों पर काम कर रहा था, तो कोई स्वास्थ्य, पर्यावरण या शिक्षा के क्षेत्र में नई तकनीकी पहल कर रहा था। विविध विचारों और दृष्टिकोणों ने जीएलए विश्वविद्यालय के परिसर को एक जीवंत नवाचार प्रयोगशाला में बदल दिया।
विजेताओं की घोषणा के दौरान पूरा परिसर तालियों से गूंज उठा। पहला पुरस्कार एक लाख रुपये की राशि के साथ जीएलए विश्वविद्यालय की टीम ने अपने उत्कृष्ट तकनीकी समाधान के लिए जीता, जबकि दूसरा पुरस्कार पचास हजार रुपये यूआईटी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की टीम को प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त प्रत्येक विषय श्रेणी में विशेष पुरस्कार भी दिए गए। विजेताओं को न केवल पुरस्कार राशि मिली, बल्कि उन्हें विभिन्न प्रतिष्ठित कंपनियों में प्रशिक्षण और पूर्व-नियुक्ति प्रस्ताव का अवसर भी प्राप्त हुआ। कई छात्रों के लिए यह अवसर उनके करियर की नई शुरुआत साबित हुआ।
विशेषज्ञ, मार्गदर्शक और निर्णायक इस आयोजन का हिस्सा बने
उद्योग जगत के अनेक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ, मार्गदर्शक और निर्णायक इस आयोजन का हिस्सा बने। उन्होंने प्रतिभागियों का मूल्यांकन करते हुए यह भी बताया कि किसी विचार को व्यवहारिक रूप से कैसे विकसित किया जा सकता है। इन विशेषज्ञों की उपस्थिति ने इस हैकाथॉन को शिक्षा और उद्योग के बीच एक सशक्त सेतु बना दिया।
जीएलए विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित किया कि इस 48 घंटे की प्रतियोगिता के दौरान छात्रों का उत्साह बना रहे। कोडिंग सत्रों के साथ-साथ अनेक मनोरंजक और रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किए गए। संगीत सत्र, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और अन्य मनोरंजक गतिविधियों ने वातावरण को जीवंत बनाए रखा। साथ ही गिटहब जैसी अग्रणी तकनीकी कंपनी के साथ डब्ल्यू3ग्रैड्स, इंटेल, एनईसी, कारखाना, डेवनोवेट, रैबिट.एआई, स्किलक्रेड और समर्थ जैसी कंपनियों ने भी अपने सत्रों और प्रायोजन के माध्यम से सक्रिय भागीदारी निभाई। इन कंपनियों ने प्रतिभागियों को आकर्षक उपहार और तकनीकी संसाधन प्रदान किए, जिससे उनका उत्साह और बढ़ गया।
जीएलए आइईटी संस्थान के डीन प्रो. अशोक भंसाली ने बताया कि जब अंतिम परिणाम घोषित हुए, तो जीएलए विश्वविद्यालय का परिसर उल्लास और गर्व से भर गया। विजेता टीमों के चेहरों पर उपलब्धि की चमक थी। एक प्रतिभागी ने कहा कृ “यह केवल प्रतियोगिता नहीं थी, बल्कि खुद को सीमाओं से आगे बढ़ाने की यात्रा थी।” वहीं एक अन्य छात्रा ने मुस्कुराते हुए कहा इन 48 घंटों ने हमें टीम भावना, धैर्य और तकनीकी सोच की सच्ची समझ दी।”
कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता तथा सीएफओ डा. विवेक अग्रवाल ने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय ने इस आयोजन के माध्यम से यह सिद्ध किया कि भारत की नई पीढ़ी केवल तकनीक की उपभोक्ता नहीं, बल्कि उसका भविष्य गढ़ने वाली शक्ति बन चुकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि भविष्य में ऐसे और राष्ट्रीय स्तर के आयोजन किए जाएंगे ताकि युवाओं को और अधिक अवसर मिलें और वे अपने विचारों को समाज के विकास से जोड़ सकें। यह राष्ट्रीय हैकाथॉन इस बात का प्रमाण है कि जब जोश, ज्ञान और रचनात्मकता एक साथ आते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है।

