नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान कि कुछ लोग मंदिर-मस्जिद से जुड़ा मुद्दा इसलिए उठाते हैं, ताकि वो स्वयं हिंदुओं को बड़े नेता के रूप में स्थापित हो सके। इस पर रामभद्राचार्य ने कहा, यह उनका व्यक्तिगत बयान हो सकता है, वह संघ के संचालक हो सकते हैं, हिंदू धर्म के नहीं। दरअसल, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि “मंदिर-मस्जिद से जुड़ा मुद्दा कुछ लोग इसलिए उठाते हैं ताकि वे स्वयं को हिंदुओं के नेता के रूप में स्थापित कर सकें। विशेष रूप से, राम मंदिर के संदर्भ में ऐसी बातें ज्यादा देखने को मिल रही हैं।”

वो संघ के संचालक हो सकते हैं, हिंदू धर्म के नहीं

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर मीडिया से बात करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि “उनका यह बयान व्यक्तिगत हो सकता, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि वो हमारे अनुशासक नहीं है। वो संघ के संचालक हो सकते हैं, हिंदू धर्म के नहीं।” उन्होने स्पष्ट किया कि “हमारा ध्यान सदैव धर्म के अनुशासन और सत्य पर रहता है। जहां-जहां हिंदू धर्म के प्रमाणित स्थल हैं, वहां हमारी उपस्थिति होगी। जहां भी प्राचीन मंदिरों के प्रमाण उपलब्ध होंगे, हम उन्हें दोबारा स्थापित करने का प्रयास करेंगे। यह हमारे लिए कोई नई कल्पना नहीं है, बल्कि सत्य के आधार पर हमारी संस्कृति और धर्म का संरक्षण है।” उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के दौरान मारे गए लोगों की घटना को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्‍होंने कहा क‍ि हिंदुओं को एक होना चाहिए, उनका ध्रुवीकरण नहीं होना चाहिए।

‘नरेंद्र मोदी से कहूंगा कि वो कठोर रुख अपनाएं’

पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार इस पर कदम उठा रही है, लेकिन अब और कठोर कदम उठाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहूंगा कि वो कठोर रुख अपनाएं। इसके साथ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ के आयोजन पर उन्होंने खुशी जाहिर की। बता दें कि मुंबई में कांदिवली के ठाकुर विलेज में भव्य राम कथा का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रसिद्ध संत स्वामी रामभद्राचार्य महाराज द्वारा सात दिनों तक कथा सुनाई जाएगी। इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। कांदिवली ठाकुर विलेज में राम कथा के आयोजन का उद्देश्य केवल धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। रामभद्राचार्य ने इसे श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक पवित्र अवसर बताया।

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