नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई वाली कैबिनेट ने भारत में एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद सवाल ये है कि इससे किसको फायदा होगा। NDA सरकार में BJP के अलावा चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की JDU और चिराग पासवान की LJP(R) बड़ी पार्टियां हैं। जेडीयू और एलजेपी (आर) तो एक देश, एक चुनाव के लिए राजी हैं। TDP ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। शीतकालीन सत्र में इस बिल को संसद से पास कराएगी, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा और इसके साथ ही देश में एक साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा। एक देश एक चुनाव लागू किया जाता है और सभी विधानसभा चुनाव 2029 के लोकसभा चुनाव के साथ होंगे तो कौन से राज्यों में इसका प्रभाव पड़ेगा आइए जानते हैं।

इन राज्यों में देरी से होंगे चुनाव

वन नेशन वन इलेक्शन लागू होता है तो राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में देरी से चुनाव होंगे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मिली मंजूरी की जानकारी हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को आगे बढ़ाने के लिए एक क्रियान्वयन समूह का गठन किया जाएगा। अगले कुछ महीनों में देश भर के विभिन्न मंचों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

22 राज्यों में पहले ही कराने पड़ेंगे चुनाव

एक देश एक चुनाव लागू होने से 22 ऐसे राज्य हैं जहां समय से पहले चुनाव कराने होंगे। वन नेशन वन इलेक्शन लागू होने के बाद बिहार, कर्नाटक, दिल्ली, गोवा, असम, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल में समय से पहले चुनाव कराने होंगे। एक देश एक चुनाव लागू होने से ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले से ही एक साथ होते हैं।

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