• केबिल कन्वर्जन को लगाए गए नए खंभों को रोकने के लिए नीचे डाली जा रही गिट्टी और बालू, सीमेंट का नाम नहीं
  • विद्युत विभाग की कार्यदायी संस्था बलदेव टाउन क्षेत्र में कर रही भारी लापरवाही, आगे फिर होगी समस्या

दैनिक उजाला, बलदेव : कस्बा में आरडीएसएस योजना के अन्तर्गत नई केबिल कन्वर्जन का कार्य चल रहा है, लेकिन जिले विद्युत विभाग की अधिकारियों की अनदेखी के कारण कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों ने भारी लापरवाही बरती है। करोड़ों खर्च होने के बावजूद भी नई केबिलें खंभों पर झूल रही हैं। इसके अलावा जगह-जगह लगे नए खंभों के गढ्ढों को भरने के लिए सिर्फ बालू और गिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है। सीमेंट का कोई नाम तक नहीं है। आने वाले समय फिर से हालात खराब होंगे नगरवासियों को बिजली की दिक्कतें झेलनी होंगी।

मथुरा जिले के विद्युत अधिकारियों की लापरवाही के चलते आरडीएसएस योजना के अन्तर्गत बलदेव नगर में कार्य कर रही कार्यदायी संस्था अपने कार्य में भारी लचीलालपन दिखा रही है। नगर में केबिल कन्वर्जन इस प्रकार किया जा रहा है कि प्रत्येक खंभे पर नए तार झूल रहे हैं।

विदित रहे कि नगर में बंदरों का भारी आतंक है। बंदर एक दूसरे की छतों पर कूदते रहते हैं, खंभों और गलियों तथा मौहल्ले में लगे तारों के माध्यम से एक दूसरे की छतों पर पहुंचते हैं। अगर यही तार अभी से झूलने लगेंगे तो आगामी समय में बंदरों के आतंक से यह तार और अधिक झूलेंगे और फिर से वही बिजली की समस्या बनेगी।

बलदेव विकास समिति के अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र पांडेय ने बताया कि विद्युत अधिकारी सिर्फ कार्यालयों में बैठे हैं। करोड़ों रूपये की लागत से बलदेव नगर में केबिल कन्वर्जन तथा नए खंभों का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में कार्यदायी संस्था भारी लापरवाही बरत रही है। बावजूद इसके आज तक किसी भी विद्युत अधिकारी ने इस कार्य को देखने की जिम्मेदारी तक नहीं उठायी है। नई केबिलें झूल रही हैं। नए खंभों के गढ्ढों को सिर्फ गिट्टी और बालू से बंद किया जा रहा है। सीमेंट की बिल्कुल भी मात्रा नहीं है। आने वाले दिनों फिर से नगरवासियों को बिजली की समस्या झेलनी होगी। ऐसा लगता है विद्युत अधिकारी सरकार को चपत लगाने में जुटे हुए हैं।

न आए एक्शियन और न आये एसई
बलदेव नगर में बिजली के हालात नगरवासी अच्छे तरीके से बयां कर सकते हैं, लेकिन इन हालातों को जानने के लिए कभी भी एक्शियन और एसई ने नगर का भ्रमण तक नहीं किया। एसडीओ और जेई की बात इसलिए भी दूर है क्योंकि इनको जनता और अपने काम से कोई सरोकार ही नहीं है। ऐसा इसलिए है कि जनता की अधिकतर समस्याएं यही हैं कि एसडीओ और जेई फोन तक अटेंड नहीं करते। इसलिए जिम्मेदारी एक्शियन और एसई की बढ़ जाती, लेकिन इन्होंने भी नगर की तरफ झांककर नहीं देखा। कारण साफ है कि कार्यदायी संस्था मनमुताबिक काम को अंजाम दे रही है।

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