- संबंधित व्यक्ति बोला पहले लर्निंग के पैसे दो फिर डीएल के अलग दो, आखिर कहां से आये इतना पैसा
दैनिक उजाला, मथुरा: ये मथुरा एआरटीओ कार्यालय है। यहां कब क्या हो जाय कोई पता नहीं। पिछले रिकाॅर्ड बिल्कुल ध्वस्त हैं। पुराने लाइसेंस धारक अपने लाइसेंस के नवीनीकरण कराने को चक्कर काट-काटकर थक चुके हैं, लेकिन एआरटीओ प्रशासन की बात ही निराली सभी एक स्वर में बोलते हैं कि नया बनवाओ। लाइसेंस धारकों का कहना है कि इसका खामियाजा दो बार फीस जमा कर हम क्यों भुगतें।
मथुरा जनपद के सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय के हाल ए बेहाल हैं। यहां के एआरटीओ प्रशासन पुराने लाइसेंस धारकों को इस प्रकार चलता कर देते हैं कि जैसे वह किसी अन्य जनपद अथवा अन्य स्टेट से आये हैं। पुराने लाइसेंस धारकों का रिकाॅर्ड नहीं मिल रहा है तो उनको संतुष्ट करना तो बहुत दूर की बात है उनसे साफ कह दिया जाता है कि यहां कोई रिकाॅर्ड नहीं है। सब कुछ नया होगा। इसके लिए बाहर से आवेदन कराओ। पुराने लाइसेंस धारक दिगंबर का कहना है कि इसका खामियाजा वह क्यों भुगतें ? एआरटीओ प्रशासन की लापरवाही के चलते पुराने लाइसेंस धारक दूने पैसे देने मजबूर क्यो हों। पहले लर्निंग बनवायें उसकी फीस भरें उसके बाद पीवीसी कार्ड के लाइसेंस की फीस भरें। ये कौन सा नियम है।
स्थिति ये है कि एआरटीओ प्रशासन बिना एवीडेंस के ही पुराने लाइसेंस धारकों चलता कर देते हैं। उनके लाइसेंस को न तो देखा जाता है कि सिर्फ पूछकर और पुरानी वर्ष सुनकर ही नया बनवाने का आदेश कर रहे हैं। यानि गलती एआरटीओ कार्यालय की और दूनी फीस भरें पुराने लाइसेंस धारक।
दैनिक उजाला न्यूज पोर्टल की तरफ से पीड़ित व्यक्ति दिगंबर के बारे में एआरटीओ प्रशासन से बात की गयी तो वह बोले पुराना कोई एविडेन्स नहीं चलेगा। इसके लिए नया ही जारी होगा। सभी प्रोसेस तो फाॅलो करने होंगे।
दलाल लग रहे पीछे
पुराने लाइसेंस धारक एआरटीओ कार्यालय से समाधान न होने को लेकर जैसे ही बाहर निकलते हैं तो, दलाल तत्काल लपक पड़ते हैं। स्थिति ये है कि पुराने धारकों को जल्द ही लर्निंग और परमानेंट लाइसेंस जारी होने तक का प्रलोभन दे रहे हैं। आखिर यह किसकी सह पर दलाल कार्यालय में संलिप्त हैं। एआरटीओ प्रशासन का इस ओर ध्यान क्यों नहीं है ? पुराने लाइसेंस धारकों के साथ आखिर क्यों न्याय नहीं हो पा रहा है।