ओस्लो : वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया मचाडो को शांति का नोबेल प्राइज मिला है। उन्होंने वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव लाने के लिए उनके लगातार संघर्ष किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प बीते कई महीने से नोबेल की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन नोबेल कमेटी ने उन्हें इस पुरस्कार के लिए नहीं चुना।
नोबेल पुरस्कार समिति का कहना है कि वेनेजुएला में तानाशाही शासन के कारण राजनीतिक काम करना बहुत मुश्किल है। मचाडो ने सुमाते नामक संगठन की स्थापना की, जो लोकतंत्र की बेहतरी के लिए काम करता है। वे देश में मुफ्त और निष्पक्ष चुनावों की मांग करती रही हैं।
विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। पुरस्कार 10 दिसंबर को ओस्लो में दिए जाएंगे।
यहूदी संगठन की मांग- नोबेल का नाम बदलकर ट्रम्प के नाम पर रखो
अमेरिका के सबसे बड़े यहूदी रिपब्लिकन संगठन, रिपब्लिकन ज्यूइश कोएलिशन (RJC) ने डोनाल्ड ट्रम्प को नोबेल प्राइज देने की मांग की है। इसके साथ ही इन्होंने मांग की है कि इस पुरस्कार का नाम ट्रम्प के नाम पर होना चाहिए।
RJC ने कहा कि वे ट्रम्प के साहस और गाजा में बंधकों को छुड़ाने के लिए उनके मजबूत इरादे की तारीफ करते हैं। इसके अलावा इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने X पर लिखा कि ट्रम्प नोबेल के योग्य उम्मीदवार हैं।
उन्होंने एक तस्वीर भी शेयर की जिसमें वे ट्रम्प को नोबेल पुरस्कार देते दिख रहे हैं। माल्टा के विदेश मंत्री इयान बोर्ग ने भी फेसबुक पर कहा- मैंने भी ट्रम्प को नोबेल के लिए चुना है।
8 देशों ने ट्रम्प को नोबेल के लिए नॉमिनेट किया
8 देश ट्रम्प को नोबेल के लिए नॉमिनेट कर चुके हैं। इनमें पाकिस्तान और इजराइल जैसे धुर विरोधी देशों के अलावा अमेरिका, आर्मेनिया, अजरबैजान, माल्टा, कंबोडिया जैसे देश हैं। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अर्जेंटीना ने भी ट्रम्प को नोबेल के लिए सिफारिश की है।
2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2025 थी। नार्वेजियन नोबेल कमेटी के नियमों के अनुसार, इस तारीख के बाद आए किसी भी नामांकन को 2025 के नोबेल के लिए स्वीकार नहीं किया गया।
हर साल 1 फरवरी से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होती है और उसी दिन तक मिले नाम ही मान्य होते हैं। ट्रम्प ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, उसके 11 दिन बाद ही नॉमिनेशन प्रोसेस बंद हो गई थी। ऐसे में इस बार ट्रम्प की दावेदारी कमजोर है।
गांधी नोबेल के लिए 5 बार नॉमिनेट हुए थे
नोबेल शांति पुरस्कार 1901 से 2024 तक 141 बार दिया जा चुका है। 111 व्यक्तियों और 30 संगठनों को यह सम्मान मिला है। गांधी को 1937 से 1948 तक 5 बार नोबेल के लिए नॉमिनेट किया गया था, लेकिन हर बार वे पुरस्कार से चूक गए।
गांधी 1948 में नोबेल के सबसे बड़े दावेदार थे, लेकिन नॉमिनेशन क्लोज होने से 1 दिन पहले ही उनकी हत्या कर दी गई थी। नोबेल कमेटी ने उस साल किसी को भी शांति का नोबेल नहीं दिया।
कमेटी का कहना था कि वे किसी ऐसे व्यक्ति को यह पुरस्कार देना चाहते थे जो गांधी जैसी शांति और अहिंसा की भावना को बढ़ावा दे, लेकिन उन्हें कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिला।
1895 में हुई थी नोबेल पुरस्कार की स्थापना
नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी और पुरस्कार 1901 में मिला। 1901 से 2024 तक साहित्य की फील्ड में 121 लोगों को सम्मानित किया जा चुका है।
इन पुरस्कारों को वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिया जाता है। शुरुआत में केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही नोबेल दिया जाता था। बाद में इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में भी नोबेल दिया जाने लगा।
नोबेल प्राइज वेबसाइट के मुताबिक उनकी ओर से किसी भी फील्ड में नोबेल के लिए नॉमिनेट होने वाले लोगों के नाम अगले 50 साल तक उजागर नहीं किए जाते हैं।
मीडिया ने 125 साल में पहली बार देखी नोबेल कमेटी की बैठक
125 साल में पहली बार, BBC और नॉर्वे के एक चैनल को नोबेल पीस कमेटी की सीक्रेट बैठक देखने की इजाजत मिली।
नॉर्वे की संसद की तरफ से चुने गए 5 लोग सोमवार को ओस्लो के नोबेल इंस्टीट्यूट में मिले। कमरे में पुराना फर्नीचर और दीवारों पर पिछले विजेताओं की तस्वीरें लगी थीं। इस साल के विजेता की तस्वीर के लिए जगह खाली थी।
कमेटी के हेड जोर्गन वाटने फ्राइडनेस ने बताया- हम खूब बहस करते हैं, लेकिन सभ्य तरीके से। हम सबकी सहमति से फैसला लेते हैं।
इसके बाद कमेटी ने अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत पढ़ी, जिसमें कहा गया है कि पुरस्कार उसे मिलेगा जो-
- देशों के बीच दोस्ती बढ़ाए,
- युद्ध कम करने में मदद करे,
- शांति की बैठकों को बढ़ावा दे।
फिर दरवाजा बंद कर प्राइज को लेकर सीक्रेट फैसला लिया गया।

