अयोध्या : अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए BJP ने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया। BJP ने 39 साल के चंद्रभानु पासवान को टिकट दिया है। चंद्रभानु का मुकाबला सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद से होगा। यानी, अयोध्या में दोनों प्रत्याशी पासी समुदाय से हैं।
चंद्रभानु पासवान रुदौली के परसोली गांव के रहने वाले हैं। उनका यह पहला विधानसभा चुनाव है। चंद्रभानु पासवान पेशे से कारोबारी है। रुदौली में इनकी कपड़े की दुकान है। इसके अलावा पेपर का कारोबार है। चंद्रभानु की पत्नी कंचन पासवान जिला पंचायत सदस्य हैं। पिता भी कई साल तक ग्राम प्रधान रहे हैं।

अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के बाद मिल्कीपुर से भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान।
अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद सीट खाली हुई
लोकसभा चुनाव- 2024 में अवधेश प्रसाद के सांसद बनने से मिल्कीपुर (सुरक्षित) सीट खाली हो गई थी। 5 फरवरी को यहां उपचुनाव के लिए वोटिंग है। 8 फरवरी को नतीजे आएंगे। मिल्कीपुर में 17 जनवरी को नामांकन की अंतिम तिथि है।
मिल्कीपुर से टिकट की दौड़ में पूर्व भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ समेत 5 लोगों का नाम चल रहा था। लेकिन, जातीय और मौजूदा समीकरण में चंद्रभानु फिट बैठे।
चंद्रभानु को क्यों टिकट मिला, 3 पॉइंट में समझिए
भाजपा के सामने मिल्कीपुर उपचुनाव में सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद के सामने पिछड़ा वर्ग के चेहरे को ही उतारने का चैलेंज था। यही वजह है, भाजपा ने पासी समाज से आने वाले चंद्रभानु को कैंडिडेट बनाया है। 3 पॉइंट में समझिए कि आखिर क्यों चंद्रभानु पर भरोसा किया गया…
1. बाबा गोरखनाथ से संगठन नाराज
भाजपा में टिकट के दावेदारों में चंद्रभानु पासवान तीसरे स्थान पर थे। पहले नंबर पर पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ का नाम था। लेकिन, गोरखनाथ की चुनाव याचिका के कारण चुनाव स्थगित हुआ था। गोरखनाथ ने याचिका के बारे में सरकार और संगठन तक को नहीं बताया था। ऐन वक्त पर चुनाव स्थगित होने से सरकार और संगठन दोनों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई थी। लखनऊ से दिल्ली तक बड़े भाजपा नेता भी नाराज हो गए थे।
2. पासी वोटर का बंटवारा
मिल्कीपुर क्षेत्र में करीब 1 लाख दलित मतदाता है। इनमें 57 हजार से ज्यादा पासी मतदाता हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर दोनों ही दलों ने पासी समाज को साधने के लिए यह दांव खेला है। अजीत प्रसाद के चुनाव में उतरने के बाद पासी वोटर एकतरफा उन्हें वोट देने वाला था। भाजपा ने एक और विकल्प चंद्रभानु के रूप में दिया है।
3. युवा चेहरा हैं…
चंद्रभानु सिर्फ 39 साल के हैं। पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे। उनके पिता कई साल प्रधानी का चुनाव लड़े हैं। लेकिन, चंद्रभानु कभी सीधे तौर पर चुनाव नहीं लड़े। हालांकि, पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। पार्टी पासी समाज में नई लीडरशिप तैयार करना चाहती है। ऐसे में चंद्रभानु पर दांव लगाना उचित समझा गया।

चंद्रभानु ने टिकट का ऐलान होने के बाद अयोध्या की हनुमानगढ़ी और रामलला के दर्शन किए।
चंद्रभानु ने श्रीरामलला के दर्शन किए
चंद्रभानु ने टिकट मिलने के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर में दर्शन-पूजन किया। चंद्रभानु ने कहा कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा को निश्चित जीत मिलेगी। उन्होंने कहा कि वह मिल्कीपुर के विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। सभी समाजों का समर्थन और वोट भाजपा को मिलेगा।