कानपुर : कानपुर के मुस्लिम क्षेत्रों में बंद पड़े मंदिरों को खुलवाने के लिए महापौर प्रमिला पांडेय ने अभियान छेड़ रखा है। सोमवार को मुस्लिम क्षेत्र कर्नलगंज स्थित लुधौरा में स्थित मंदिर को खुलवाने पहुंची। यहां मंदिर के गेट पर लगे ताले को ईंट से तोड़ा गया। इसके बाद लोग अंदर पहुंच गए और दर्शन किए।
मंदिर का ताला खुलने से लोग खुश नजर आए और बोले- अब इस मंदिर में रोज पूजा करेंगे। यह काफी सालों से बंद था, इस कारण से यहां पूजा पाठ सब बंद था। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद रहा। इसके पहले महापौर ने शनिवार को बेकनगंज में बंद पड़े 5 मंदिरों का निरीक्षण कर कब्जामुक्त कराया था।
पहले देखिए मंदिर खुलने की 5 तस्वीरें
मंदिर का ताला खुलवाने की सूचना पर लोगों की भीड़ जुट गई।
ईंट से मंदिर के दरवाजे पर लगे ताले को तोड़ा गया।
मंदिर खुलते ही लोग अंदर पहुंचे और दर्शन किए।
मंदिर के अंदर क्षतिग्रस्त मिलीं मूर्तियां।
अब विस्तार से पढ़िए
सोमवार को महापौर ने कर्नलगंज स्थित शिव मंदिर पहुंचीं। यहां उन्होंने मंदिर का ताला तुड़वाकर मंदिर खोला। स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब 70 साल बाद इस मंदिर को खोला गया है। दंगे के दौरान ये मंदिर बंद कर दिया गया था।
महापौर ने अदंर जाकर वहां के हालात देखे। मंदिर के अंदर मौजूद सभी मूर्तियां खंडित थीं। कई मूर्तियों के सिर तक गायब थे। इसके अलावा अन्य मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त किया हुआ था। सभी मूर्तियों के सिर क्षतिग्रस्त थे।
मंदिर के अंदर शिवलिंग गायब मिला
मंदिर के अंदर शिवलिंग की डिजाइन जमीन पर मिली, लेकिन शिवलिंग पूरी तरह नदारद था। महापौर ने बताया कि अब इस मंदिर को खोलकर विधिवत पूजन-अर्चन कराया जाएगा। नगर निगम द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया जाएगा। मंदिर खोलने के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद रहा।
कर्नलगंज स्थित शिव मंदिर में मिश्रित आबादी है। मंदिर जहां मौजूद है, वहां पूरी तरह मुस्लिम आबादी है। मंदिर खुलने से स्थानीय हिंदू लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। मंदिर खुलते ही बड़ी संख्या हिंदू परिवार के लोग मंदिर पहुंचे। मंदिर खुलते ही महिलाओं ने अंदर प्रवेश किया और माथा टेका। कहा कि अब रोज मंदिर में पूजा करने आएंगे।
मंदिर के पास मौजूद लोगों की भीड़ और पुलिस बल।
अब पढ़िए लोग क्या बोले
सुमन ने कहा-हमको खुशी है। इसको कंप्लीट करा दें। खानापूरी न करें। पुताई करा दें। पुजारी बैठा दें। हम लोग पूजा करना चाहते हैं।
गुजरा कहती हैं-हमको पता ही नहीं कब से बंद है। मुझे तो लगता ही नहीं था कि ये कभी खुल भी पएगा या नहीं। मेयर का धन्यवाद है। हम लोग पूजा करेंगे।
मनोरमा ने कहा-ये 30-35 साल से बंद है। झगड़ा हुआ था, तब से बंद है। अब खुल गया है। हम लोग खुश हैं।
कर्नलगंज के शिव मंदिर सालों से बंद
कर्नलगंज…यह पूरा एरिया मुस्लिम बाहुल्य है। संकरी गली में करीब 125 वर्ष पुराना शिव मंदिर मिला। इस मंदिर को करीब 70 वर्षों से खोला नहीं गया है। इस मंदिर में कोई कब्जा तो नहीं है, लेकिन कूड़े से पूरा मंदिर पटा हुआ है।
चारों ओर मुस्लिम आबादी से घिरे शिव मंदिर में टनों कूड़ा कचरा फेंका हुआ मिला। मंदिर प्रांगण चारों ओर से बंद है। मंदिर के गुंबद समेत पूरा मंदिर जर्जर हो चुका है। मंदिर कब धराशायी हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता है। मंदिर के गेट पर मुस्लिम लोगों के पोस्टर चस्पा मिले।
इस मंदिर के निर्माण में भी छोटी और पतली लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। करीब 125 वर्ष पुराना मंदिर बताया जा रहा है। इसका प्रांगण काफी बड़ा था, लेकिन अब सिर्फ जरा सा हिस्सा बचा है। बाकी सब कब्जा हो चुका है।
यहां से करीब 500 मीटर दूर दूसरा शिव मंदिर है। यहां मंदिर के बाहर तक दुकानें हैं। इस मंदिर का निर्माण भी करीब 100 वर्ष पुराना बताया गया। इसको बनाने में लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। आगे के हिस्से में मंदिर और पीछे के हिस्से में मुस्लिम परिवार रह रहे हैं। मंदिर में शिवलिंग के निशान तो बने हुए हैं, लेकिन शिवलिंग पूरी तरह से गायब है। मंदिर बेहद जर्जर हालात में है। वहीं मंदिर के एक तरफ दीवार बना दी गई है। जिससे मंदिर में कोई प्रवेश न कर सके।
बड़े मंदिरों में शुमार रामजानकी मंदिर कब्जाने के लिए रचा गया था बड़ा षड्यंत्र
मुस्लिम क्षेत्रों में बने सबसे बड़े मंदिर राम-जानकी मंदिर की जमीन को हथियाने के लिए बड़ा षड्यंत्र रचा गया था। करीब 2400 वर्ग गज में बने इस मंदिर प्रांगण को पूरी तरह से मुख्तार बाबा द्वारा कब्जा किया जा चुका है। नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक मंदिर कैंपस के बाहर हिंदुओं की 18 दुकानें हुआ करती थीं।
नगर निगम पंचशाला के मुताबिक रामजानकी मंदिर ट्रस्ट का संचालन मैनेजर भगवानदीन हलवाई के हाथ में था। पंचशाला रजिस्टर में वर्ष 1927 से 1953 तक भगवानदीन द्वारा ही ट्रस्ट संचालन का जिक्र है।
वर्ष 1927 में हिंदुओं के नाम दर्ज थे
मंदिर ट्रस्ट में 18 दुकानें थीं जो आगे की ओर थीं, जबकि अंदरुनी हिस्से में मंदिर था। इन सभी दुकानों पर हिंदू लोग ही काबिज थे। दुकानों में कपड़ा, रेडीमेड, ज्वैलरी, लांड्री, मंदिर की पूजा अर्चना और प्रसाद आदि की दुकानें हुआ करती थीं।
नगर निगम के वर्ष 1927 के पंचशाला रजिस्टर में इन सभी दुकानदारों के नाम दर्ज हैं जो वर्ष 1938 तक दर्ज रहे। इनके नाम क्रमश: मन्ना, नाथू, रामभरोसे, गज्जू, नत्था, सतनारायन, बंशीधर, महादेव, बसेसर, मिश्रा, छेदा, विश्वनाथ, अजोध्या, केशव, सुखलेन, धर्मा और मखत थे। 3 जून 2022 को कानपुर में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी मुख्तार बाबा ने ही मंदिर की पूरी जमीन को कब्जा कर लिया था।