• देश के सबसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों में शुमार गडकरी अपने कार्य और व्यवहार से विरोधियों का भी दिल जीत लेते हैं

नई दिल्ली : “…अमेरिका की सड़कें इसलिए अच्छी नहीं हैं कि अमेरिका अमीर है, अमेरिका इसलिए अमीर है, क्योंकि वहां की सड़कें अच्छी हैं।” अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन केनेडी की कही इन पंक्तियों को मूलमंत्र मानकर देश में सड़कों का जाल बिछाने वाले नितिन गडकरी को मोदी 3.0 में एक बार फिर से उनका पसंदीदा सड़क परिवहन मंत्रालय मिला है। देश के सबसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों में शुमार गडकरी अपने कार्य और व्यवहार से विरोधियों का भी दिल जीत लेते हैं। जब संसद सत्र चलता है तो उनका कार्यालय सर्वदलीय सांसदों का मिलनस्थल बन जाता है। विपक्षी सांसद भी यह खुलकर कहते हैं कि- गडकरी के पास जो गया, वो खाली हाथ नहीं लौटा। सड़क मांगने पर खटाखट देते हैं। गडकरी नवाचार के मास्टर माने जाते हैं।

27 मई 1957 को नागपुर के एक किसान परिवार में जन्मे गडकरी संघर्षों से बढ़े नेता हैं जो आम लोगों का दुख दर्द जानते हैं। वे निजी हैसियत से गरीबों की सेवा कार्यों के लिए जाने जाते हैं। अपने संसदीय क्षेत्र नागपुर के 45 हजार और अन्य क्षेत्रों के 5 हजार गरीबों के दिल का ऑपरेशन करा चुके हैं। महाराष्ट्र में उन्होंने ‘अन्नदाता सुखी भव:’ योजना चलाई थी, जिसके जरिए आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाओं की सहायता करते थे।

हाईवे निर्माण का रिकॉर्ड

यह गडकरी ही थे, जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के सामने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) का ब्लूप्रिंट पेश किया था। मोदी सरकार में 2014 में सड़क परिवहन मंत्री बनने के बाद सड़कों के निर्माण में 7 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं। 2014 में जहां देश में सिर्फ 3 किमी प्रतिदिन हाईवे बनता था, उनके कार्यकाल में यह रफ्तार 33 किमी प्रतिदिन तक पहुंच गई।

‘गडकरी’ से बोले धीरूभाई – तुम जीत गए

देश को पहला मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे देने वाले गडकरी ही हैं। 1995 में 38 साल की उम्र में महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री का जिम्मा संभालने वाले गडकरी ने रिकॉर्ड सड़कें और मुंबई में 55 फ्लाईओवर बनाए तो बाला साहेब ठाकरे उन्हें ‘रोडकरी’ कहने लगे। देश का पहला मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे बन रहा था तो धीरूभाई अंबानी ने 3600 करोड़ रुपये का टेंडर डाला था। गडकरी ने उनका टेंडर खारिज करते हुए कहा था कि 2000 करोड़ का टेंडर ही मंजूर होगा। नाराज अंबानी ने कहा था कि इतनी कम लागत में एक्सप्रेस-वे कभी नहीं बन सकता। गडकरी ने इसे चैलेंज के रूप में लिया और रिकॉर्ड 2 साल में 1600 करोड़ रुपये में सरकारी एजेंसी से निर्माण कराकर दिखा दी। इस पर धीरूभाई ने गडकरी को कहा था-तुम जीत गए और मैं हार गया।

मोदी से बोले- नहीं चाहिए मुझे टॉप 4 मिनिस्ट्री

जब 2014 में मंत्रालय बंट रहा था तो प्रधानमंत्री मोदी ने गडकरी से पूछा था- आपको कौन सा चाहिए। गडकरी ने तुरंत सड़क परिवहन मंत्रालय का नाम लिया। यह सुन पीएम मोदी ने कहा कि यह मंत्रालय तो टॉप 4-5 में नहीं आता? तो गडकरी ने कहा कि महाराष्ट्र में सड़कों पर कार्य का अनुभव है, इसी में उन्हें आनंद आता है।

चुनौतियां

  • हाईवे परियोजनाओं को समय व गुणवत्ता से पूर्ण करना
  • अच्छे हाईवे पर सड़क दुर्घटनाएं रोकने के उपाय, अभी तक के प्रयास नाकाफी साबित
  • वाहन स्क्रेप नीति को धरातल पर उतारना
  • हाईड्रोजन से चलने वाली कारों को सुलभ बनाना
  • ट्रक चालकों के लिए सुरक्षित व सुविधाजनक यात्रा

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