बरेली : उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थित एक निजी अस्पताल में तोतलेपन का इलाज करने के बजाय बच्चे का खतना करने के आरोपी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है और अस्पताल में किसी भी तरह के इलाज और नए मरीजों की भर्ती में रोक लगा दी गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में गठित जांच कमेटी ने प्रथम दृष्टया अस्पताल प्रबंधन दोषी पाया गया है। करीब 10 घंटे तक चले जांच में कमेटी ने दोनों पक्ष सुने। रविवार देर रात अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने का आदेश जारी किया गया।
बता दें कि बरेली नगर में स्टेडियम मार्ग पर एम खान अस्पताल में शुक्रवार को संजयनगर के एक दंपति दो साल के बेटे का तोतलेपन का इलाज कराने पहुंचे थे। आरोप है कि तालू ऑपरेशन के बजाय बच्चे का खतना कर दिया गया। ऑपरेशन के बाद स्टाफ ने दोबारा बच्चे को वार्ड में लिटा दिया। गर्मी लगने पर कपड़े हटाए तो खतने के बारे में पता चला। इस घटना का पता चलने पर हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन कर हंगामा किया, तब पुलिस के साथ आईएमए पदाधिकारी भी पहुंच गए थे। हिंदू संगठनों ने हंगामा कर प्रदर्शन भी किया था। पीड़ित परिवार ने इस मामले में तहरीर भी दी थी।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जानकारी मिलते ही शनिवार शाम मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से कमेटी गठित कर जांच करा सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बलबीर सिंह ने चार सदस्यीय पैनल गठित कर दिया, जिसमें डॉ. भानु प्रकाश, डॉ. सीपी सिंह, डॉ. जेपी मौर्य, डॉ. संचित शर्मा शामिल थे। रविवार सुबह से देर शाम तक जांच समिति सदस्यों ने अस्पताल और पीड़ित परिवार से मिलकर पक्ष सुना। अभिलेख भी चेक किए। इसके बाद देर शाम अपनी रिपोर्ट सीएमओ को सौंपी। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर सीएमओ डॉ. बलबीर सिंह ने रविवार देर रात अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया, इसके साथ ही यह भी कहा गया कि जांच जारी रहेगी अगर कोई अभिलेखों में अथवा अन्य गड़बड़ी के साक्ष्य पाए गए तब आगे और कड़ी कार्रवाई होगी।
सीएमओ ने बताया कि निलंबन अवधि में एम खान अस्पताल में किसी भी तरह का इलाज और नए मरीज भर्ती करने पर रोक लगी रहेगी। सीएमओ डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि अस्पताल अभिलेखों की अभी जांच अभी जारी है। चार सदस्यीय कमेटी ने अस्पताल प्रबंधन के बयान दर्ज किए थे। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक परिजनों ने बयान में कहा है कि स्टाफ ने अंग्रेजी में लिखी फाइल पर हस्ताक्षर से पहले परिजनों ने कहा था कि उन्हें अंग्रेजी समझ में नहीं आती। इस पर डॉक्टर ने कोई खास बात नहीं कहकर हस्ताक्षर करा लिए।