• वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर बिगड़े बोल…

वाराणसी: अयोध्या के बाद काशी-मथुरा और वृंदावन को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की वाणी इन दिनों आग उगल रही है। प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी पर उनकी भड़ास सुर्ख़ियों में है। मथुरा से सांसद हेमा मालिनी वृंदावन में प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है। उन्होंने इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के विकास को लेकर महती भूमिका अदा की है। इस बीच शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हेमा मालिनी से बेहद नाराज नजर आ रहे हैं।

अभिनेत्री और मथुरा सांसद हेमा मालिनी द्वारा बांके बिहारी कॉरिडोर का समर्थन करने पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हेमा मालिनी जी मुसलमान है, विवाह करने के लिए उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया. उन्हें इसके बारे में जानकारी कैसे होगी. बचपन से उन्होंने फिल्मों में काम किया है, उनके कहने पर अगर हमारी धार्मिक मान्यताएं तोड़ी जाएंगी तो हम समझेंगे की वृंदावन के लोगों ने गैर हिंदू प्रतिनिधि को चुनकर के भूल कर दी. आप जितनी सुविधाएं बढ़ाएंगे स्वाभाविक है, और अपेक्षाएं रहेगी ही. सरकार ने एक बार भी धर्माचार्य से पूछा, धर्माचार्य से विचार विमर्श किया. सरकार सीधा आई और मंदिर में अपने योजना को लेकर घुस गई. उन्होंने कहा कि पहले गोरखनाथ मंदिर को ट्रस्ट घोषित करें, इसके बाद दूसरा कार्य। 

शंकराचार्य ने यूपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अगर सरकार के अंदर यह भावना है तो सबसे पहले गोरखनाथ मंदिर के अंदर ट्रस्ट बनवाकर क्यों नहीं सौंप दिया जाता है. अपना मंदिर आप अपने हाथ में रखे हैं और आप हमारे मंदिर में हस्तक्षेप कर रहे हैं. हम दो तरह की बात को स्वीकार नहीं करेंगे. वाराणसी में विश्वनाथ जी के मंदिर में हमने देखा कि किस तरह से मर्यादा तोड़ी गई. आप वाहन लेकर हमारे मंदिर तक घुस आते हैं, जबकि यह हमारे धर्मस्थल की मर्यादा नहीं है. राजनेताओं की गाड़ियां हमारे भगवान के चौखट तक आ जाए तो यह मर्यादा तोड़ने की बात हुई कि नहीं. सुविधा व्यवस्थाएं बढ़ाने के लिए हमने तो कभी नए संसद का प्रस्ताव नहीं दिया, हस्तक्षेप नहीं किया वैसे ही हमारे मंदिर के प्रस्ताव के बारे में आप पहले धर्माचार्यो से पूछिए तो.  

वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर उन्होंने कहा है कि यह हमारी धार्मिक मान्यताएं तोड़ने जैसा है. अगर ठाकुर जी के मंदिर में कोई निर्माण करना है, तो सबसे पहले वहां के धर्माचार्य से पूछना चाहिए. लेकिन सरकार अपनी योजना लेकर सीधा मंदिर में प्रवेश कर रही है. सुविधा व्यवस्थाएं बढ़ाने के नाम पर इस प्रकार से मंदिर को सरकारी कब्जे में लेना सनातनी मर्यादा को तोड़ने जैसा होगा. इससे पहले भी हमने वाराणसी में देखा कि कॉरिडोर के नाम वहां कैसे धार्मिक मान्यताओं को तोड़ा गया. भगवान के मंदिर के पास तक राजनेताओं के वाहन खड़े हो रहे हैं. क्या यह उचित है। फ़िलहाल शंकराचार्य के बोल पर बीजेपी समेत अन्य राजनैतिक दलों की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सांसद हेमा मालिनी ने भी उनके वक्तव्यों को लेकर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। 

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