• महापौर और अधिकारियों के बीच अप्रत्यक्ष रूप से चल रही जुबानी जंग, अब लिखित में सार्वजनिक लड़ाई प्रारंभ

मथुरा : मथुरा वृंदावन नगर निगम के महापौर विनोद अग्रवाल ने नगर आयुक्त शशांक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मेयर के द्वारा जारी किए गए पत्र के अनुसार, नगर आयुक्त उनकी किसी भी बात को सुनते नहीं हैं और मानने के लिए तैयार नहीं हैं। मेयर ने पत्र में कहा है कि उनका संवैधानिक दायित्व है कि नगर निगम के धन का दुरुपयोग न होने दिया जाए। गलत कार्य किसके द्वारा किए जा रहे हैं, जनता खुद इसकी विवेचना करे।

मथुरा वृंदावन नगर निगम में महापौर और अधिकारियों के बीच अभी तक अप्रत्यक्ष रूप से जुबानी जंग चल रही थी, लेकिन अब लिखित में पत्र सामने आने के बाद लड़ाई सार्वजनिक हो गई है।

महापौर ने जारी किया पत्र

महापौर विनोद अग्रवाल द्वारा मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है पिछले कुछ महीनों में उनके समक्ष नगर निगम मथुरा वृंदावन में हो रही अनेक अनियमितताएं सामने आईं। जिनका पत्र लिखकर विरोध भी जताया। जलकल विभाग के टेंडर्स को अधिकारियों द्वारा पूल करके ठेकेदारों को पिछले साल की अपेक्षा लगभग दोगुनी दरों पर कार्य बांट दिए गए।

आपात स्थिति में कोटेशन के माध्यम से 10 लाख रुपए तक के काम बिना टेंडर के कराने का जो अधिकार अधिकारियों को दिया गया है उसका दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपए की स्ट्रीट लाइट्स, सेमी हाईमास्ट लाइट्स, तिरंगा लाइट्स आदि 10-10 लाख के अनेकों वर्क ऑर्डर बनाकर खरीदी गईं। नगर निगम की भूमि को बिना सदन की स्वीकृति लिए अनुबंधित किया गया, जो पूरी तरह असंवैधानिक है।

मेयर द्वारा मीडिया को भेजा गया पत्र

मेयर द्वारा मीडिया को भेजा गया पत्र

नगर आयुक्त ने नहीं दिया पत्र का जवाब

मेयर विनोद अग्रवाल ने पत्र में कहा है कि ऐसे कई कार्यों को रोकने, कामों का विवरण प्रस्तुत करने और स्पष्टीकरण के लिए उनके द्वारा नगर आयुक्त शशांक चौधरी को पत्र भेजे गए। जिनका कोई उत्तर अभी तक प्राप्त नहीं हुआ। अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों का भुगतान अनावश्यक रूप से रोके जाने के कारण पिछले कुछ माह में नगर निगम द्वारा जारी की गयीं।

निर्माण विभाग की लगभग 200 निविदाओं में से 100 से अधिक निविदाओं में ठेकेदारों द्वारा भाग नहीं लिया गया। जिसमें CM GRID योजना भी शामिल है। अधिकारियों की इस कार्यशैली के कारण नगर निगम की कार्य योजनाएं ध्वस्त हो चुकी है।

मेयर का आरोप है कि नगर आयुक्त उनकी सुनते ही नहीं है।

मेयर का आरोप है कि नगर आयुक्त उनकी सुनते ही नहीं है।

नगर निगम के पास मौजूद कोष को नहीं दी जानकारी

नगर निगम की आगामी कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्य से मेयर द्वारा नगर निगम के पास उपलब्ध कोष से अवगत कराने के लिए पत्र भेजा गया।

जिसका उत्तर प्राप्त न होने पर सदन की बैठक में इसके लिए प्रस्ताव भी स्वीकृत किया गया। किंतु नगर आयुक्त द्वारा प्रस्ताव पर भी लिखित आपत्ति लगाई गई और इसको कार्यान्वित नहीं किया गया।

नगर निगम के सभी सदस्यों एवं अधिकारियों द्वारा यह शपथ ली जाती है कि किसी भी सरकारी जानकारी को तब तक सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। जब तक ऐसा करना आवश्यक ना हो।

किंतु नगर आयुक्त ने मेरे द्वारा भेजे गए इन पत्रों को कुछ पार्षदों के साथ साझा करके पार्षदों पर दबाव डालकर उनसे मेरे इन पत्रों के विरोध में पत्र लिखवाकर मीडिया में दिया, जो इनके द्वारा ली गई गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन है।

नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 117 की उपधारा 5 के अनुसार नगर आयुक्त को महापौर के सामान्य निर्देशन में ही अपने कर्तव्यों का पालन करना होता है जबकि नगर आयुक्त महापौर के किसी भी निर्देश को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

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माननीय महापौर द्वारा जो पत्र में बिंदु उठाए गए हैं उनकी सभी की जांच कराई जाएगी।
आम जनता के प्रति जितना दायित्व उनका है उतना ही सभी निगम अधिकारियों का बनता है जिसे पूरी तरह पालन किया जा रहा है।
शशांक चौधरी
नगर आयुक्त

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