मथुरा : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री मंगलवार को वृंदावन पहुंचे। केलिकुंज आश्रम पहुंचकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। उनका हालचाल जाना और आध्यात्मिक चर्चा की।

धीरेंद्र शास्त्री ने संत प्रेमानंद महाराज का आशीर्वाद लिया और उनके स्वास्थ्य का हालचाल जाना। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। भगवत भक्ति, सनातन एकता यात्रा और मायाजाल से मुक्ति पर आध्यात्मिक चर्चा हुई। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बिना सनातन के किसी की सत्ता ही नहीं है। कहीं भी कोई भी हो उसको सनातन से जुड़ना ही पड़ेगा।

उन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में उनके अनुयायियों और स्थानीय लोगों की भीड़ जमा हो गई। इस दौरान धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने सहज अंदाज में भीड़ में मौजूद सभी लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। उन्होंने हाथ जोड़कर और मुस्कुराकर सभी भक्तों का आभार व्यक्त किया। दोनों प्रमुख धर्माचार्यों की इस व्यक्तिगत मुलाकात को धर्म और अध्यात्म जगत के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

धीरेंद्र शास्त्री ने संत प्रेमानंद महाराज का आशीर्वाद लिया और उनके स्वास्थ्य का हालचाल जाना।

धीरेंद्र शास्त्री ने संत प्रेमानंद महाराज का आशीर्वाद लिया और उनके स्वास्थ्य का हालचाल जाना।

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- मायाजाल में फंसे थे

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- मुंबई में थे और मायाजाल में फंसे थे। इस पर संत प्रेमानंद महाराज जी ने कहा- भगवान के पार्षद तो माया से मुक्त करने जाते हैं। माया जाल में घुसकर जीवों को माया से मुक्त करते हैं। आप भगवान के पार्षद हैं। हमारे ठाकुर जी के निज जन है। जहां जाएं वहां भगवत नाम भगवत गुण महिमा की गर्जना करें तो उससे माया भाग जाती है। भगवान के नाम गुण में अपार सामर्थ्य है, जो भगवान के नाम और गुणों का आश्रय ले लिया वो पार हो गया। अन्यथा कोई ज्ञान-विज्ञान इस दुरंत माया से पार कर सके यह असंभव है।

माया भगवान की दासी है। जीव तो भगवान के नाम, गुण, लीला और धाम का आश्रय लेकर उन्हीं के सहारे से निकल जाता है। ये मार्ग दे देती है, निकल जाओ। जहां थोड़ा सा अहम हुआ तो प्रश्नवाचक चिन्ह लगा देती है।

दिल्ली से वृंदावन के लिए पैदल सनातन एकता यात्रा करेंगे

संत प्रेमानंद महाराज ने पूछा- वृंदावन में कितने दिन रहोगे। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- बाबा कल तक रुकेंगे। सनातन एकता पदयात्रा को लेकर एक बैठक है। दिल्ली से वृंदावन के लिए पैदल सनातन यात्रा करेंगे। इस पर संत प्रेमानंद महाराज ने कहा- सनातन ब्रह्म है। संत प्रेमानंद महाराज ने कहा- सनातन वायु है। सनातन सूर्य है। सनातन आकाश है। सनातन भूमि है।

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा-सनातन पदयात्रा को लेकर एक बैठक है। दिल्ली से वृंदावन के लिए पैदल सनातन यात्रा करेंगे।

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा-सनातन पदयात्रा को लेकर एक बैठक है। दिल्ली से वृंदावन के लिए पैदल सनातन यात्रा करेंगे।

बिना सनातन किसी की सत्ता नहीं

बिना सनातन के किसी की सत्ता ही नहीं है। सनातन धर्म है। कहीं भी कोई भी हो उसको जुड़ना ही पड़ेगा, क्योंकि वायु से जुड़ना, सूर्य के प्रकाश से जीना, आकाश के नीचे रहना, धरती में रहना यह सनातन में ही रहना है। यह सब सनातन ही है। ब्रह्म स्वरूप सनातन है। सनातन को किसी व्यक्ति ने स्थापित नहीं किया। ये स्वयंभू है। जैसे वेद स्वयंभू है तो वेद भी सनातन है। ब्रह्म भी सनातन है।

बीमार शरीर है, केवल ह्रदय से बात कर सकते हैं

संत प्रेमानंद महाराज ने कहा- बस बीमार शरीर है। इसलिए हृदय से केवल बात कर सकते हैं। इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- ये तो आपकी लीला है। आपकी तरह हम भी ऐसे ही कहते रहते हैं। हमारा भी बुढ़ापे का शरीर है। आपको कोई बीमारी नहीं है। आपकी तो ये लीला है। महापुरुष तो भगवत स्वरूप हैं, ये सब लीला करते हैं। बस आपके दर्शन हो गए खूब आनंद मिल गया। आप तो यात्रा में ही हैं। हमारे दादा गुरु जी निर्मोह अखाड़ा केशव अंतिम समय में हमें ये पोटली दे गए। संपत्ति के इसी पोटली के दम पर हम संतों पहुंचे। बस आप महापुरुषों की कृपा बनी हुई है। मति ठीक बनी रहे।

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