• केएम में पूरे साल चलता है कैम्प, फ्री होते है मोतियाबिन्द के ऑपरेशन

दैनिक उजाला संवाद, मथुरा : मोतियाबिंद एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है। नहीं तो धीरे-धीरे पुरानी होकर यह बीमारी आंखों को अधिक नुकसान पहुंचाती है। आंख की रोशनी जाने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में डाक्टर समय रहते इसका इलाज करवाने की बात कहते हैं। इसके बावजूद कई ऐसे लोग हमारे आस-पास रहते हैं जो जानकारी के अभाव या ठीक समय पर अस्पताल न पहुंच पाने की वजह से इलाज से वंचित रह जाते हैं। अब फेको विधि से आंखों के ऑपरेशन केएम मेडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल में किए जा रहे है। यह बात हॉस्पिटल के नेत्र विभागाध्यक्ष डा. एमके तनेजा ने नेत्र कैम्प के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि केएम सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में फेको विधि से निःशुल्क ऑपरेशन हो रहे है, रोजाना तीन-चार ऑपरेशन कर मरीजों को आंखों की रोशनी प्रदान की जा रही है। इस विधि से किए गए ऑपरेशन में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें लोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती। टॉपिकल माइक्रो फेको आंखों के सफेद मोतियाबिंद के उपचार की एक अत्याधुनिक तकनीक है। इसमें किसी प्रकार के बड़े चीरे की आवश्यकता नहीं होती। ऑपरेशन की इस विधि के दौरान आंख में महज 2.8 एमएम का एक बारीक छेद किया जाता है, जिसके माध्यम से सफेद मोतिया को आंख के अंदर ही घोल दिया जाता है और इसी के माध्यम से ही फोल्डेबल लेंस को आंख के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

नेत्र रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मेमंशा माहेश्वरी ने बताया कि सामान्य ऑपरेशन आंख के आसपास इंजेक्शन लगाकर उसे सुन्न करके किया जाता है, ताकि आंख स्थिर रहे। इससे मरीज को दर्द भी होता है और इंजेक्शन से कुछ नुकसान भी हो सकता है। टॉपिकल माइक्रो फेको बिल्कुल आधुनिक तकनीक है। इसमें किसी प्रकार का इंजेक्शन नहीं लगाया जाता। केवल ऊपर से कुछ बूंद दवा डालकर ऑपरेशन शुरू कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि बिना दर्द हुए इस ऑपरेशन के बाद मरीज को किसी प्रकार की पट्टी भी बांधनी नहीं पड़ती और वह ऑपरेशन के तुरंत बाद देखने लगता है। मरीज को अस्पताल से तुरंत छुट्टी भी दे दी जाती है और किसी प्रकार का परहेज भी जरूरी नहीं है।

केएम हॉस्पिटल के एडीशनल मेडीकल सुप्रीडेंट डा. आरपी गुप्ता ने बताया केएम में फंडस कैमरा, ओसीटी तथा ग्रीन लेजर जैसी अत्याधुनिक मशीनों के होने से यहां सफेद मोतियाबिंद, काला मोतियाबिंद तथा आंखों के पर्दे (रेटिना) से पीड़ित मरीजों का आसानी से आपरेशन और उपचार सम्भव हो पाता है। यहां स्पेशलिस्ट चिकित्सक और लेटेस्ट मशीनें होने से किसी भी तरह की आंखों की परेशानी का उपचार सहजता से सम्भव है।

विगत सप्ताह में हुए एक दर्जन सफल ऑपरेशन को लेकर केएमयू के कुलाधिपति किशन चौधरी ने नेत्र रोग विभाग की डाक्टर टीम को बधाई दी है। सफल ऑपरेशन में नेत्र विभाग की डा. अर्पिता, डा. पंकज गायकवाड़, डा. रवि, डा. परिधि, डा. दिलिशा, डा. आयुष, डा. नितिन, डा. हिमानी का विशेष सहयोग रहा।

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